दशहरा पर क्यों करते हैं वाहन पूजा: इस परंपरा की कहानी ओर पूजा विधि

दशहरा पर क्यों करते हैं वाहन पूजा: इस परंपरा के पीछे की कहानी
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नमस्कार दोस्तों, भारत में दशहरा हर साल मनाया जाता है और इस दिन बहुत से लोग नए वाहन खरीदते हैं। जिनके पास वाहन होता है वे वाहन की पूजा करते हैं। दशहरे के दिन सभी लोग वाहन की पूजा करते हैं लेकिन वे यह नहीं जानते कि इस दिन वाहन की पूजा क्यों की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दशहरे पर वाहन की पूजा क्यों की जाती है। आपके लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि दशहरे पर वाहन पूजा कैसे की जाती है, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। हम आपको दशहरे के दिन के बारे में और भी कई रोचक जानकारी बताएंगे।


दशहरा पर क्यों करते है वाहन पूजा | Dussehra Me Vahan Puja


दोस्तों भारत में ऐसे लोग हैं जो दशहरे के दिन वाहनों की पूजा करते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो दशहरे के दिन ही नई गाड़ियां खरीदते हैं। यह सब कई सालों से चला आ रहा है लेकिन कोई नहीं जानता कि दशहरे पर वाहन की खरीदारी और वाहन पूजा क्यों की जाती है।

दशहरे के दिन एक और देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया तो दूसरी ओर भगवान राम ने रावण का वध कर जीत का जश्न मनाया।

दशहरा का पर्व सत्य की असत्य पर विजय का पर्व है। इस दिन राजा राम ने लंका पर विजय पताका फहराई थी और विभीषण को लंका का राजा घोषित किया गया था। लेकिन अब बात आती है कि इस दिन वाहन की पूजा क्यों की जाती है।


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दरअसल, लंका पर विजय के बाद राम ने उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने युद्ध के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उनकी मदद की थी। फिर उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया, चाहे वह सजीव हो या निर्जीव, पशु हो या पक्षी। भगवान राम ने निर्जीव वस्तुओं को भी धन्यवाद दिया। निर्जीव वस्तुओं में से उसने अपने हथियारों, रथों और सभी प्रकार के वाहनों को धन्यवाद दिया क्योंकि इन सबके बिना युद्ध कभी नहीं लड़ा जा सकता था।

वाहनों की बात करें तो हाथी, घोड़े और रथ सभी वाहन थे।

जिस वाहन की हम आज पूजा करते हैं, वह उसी समय से चला आ रहा है। प्राचीन काल में रथों, हाथियों और घोड़ों की पूजा करके इस परंपरा का निर्वहन किया जाता था। आधुनिक समय में यह परंपरा रूप बदलकर वाहन पूजा में दिखाई देती है।

दशहरे के दिन हम उन सभी की पूजा करते हैं, चाहे वह सेना हो, पुलिस विभाग हो, सरकारी वाहन हो या अपना वाहन हो, क्योंकि वे सभी हमारे जीवन को चलाते हैं और हम उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।


अब हम जानेंगे कि दशहरे के दिन वाहन की विधिवत पूजा कैसे करनी चाहिए।


दशहरे पर वाहन पूजा विधि | Dussehra Me Vahan Puja Vidhi


हिंदू धर्म के अनुसार दशहरे के दिन इन सभी वाहनों की पूजा करना जरूरी होता है चाहे वे नए हों या पुराने। दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर उसकी पूजा करने के बाद ही वाहन का प्रयोग किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दशहरे के दिन पूजा करने से हम कई दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।

अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि दशहरे के दिन वाहन की पूजा कैसे करनी चाहिए।


  1. सबसे पहली बात तो यह है कि सुबह उठकर इसे अच्छे से धो लें।
  2. इसके बाद वाहन पर आम के पत्तों से तीन बार गंगाजल छिड़कें। यदि आपके घर में गंगा जल नहीं है तो आप ताजे जल का भी उपयोग कर सकते हैं।
  3. बाद में आपको अपने वाहन पर सिन्दूर और घी के मिश्रण से स्वस्तिक बनाना होगा। हिंदू धर्म में माना जाता है कि स्वस्तिक चिन्ह सकारात्मकता का प्रतीक है।
  4. स्वस्तिक चिह्न के नीचे पांच सिन्दूर के तिलक लगाएं।
  5. इसके बाद वाहन पर फूल की माला चढ़ाए। और कलावा को गाड़ी में कहीं भी बांध लें क्योंकि कलावा को रक्षा सूत्र माना जाता है।
  6. इसके बाद आपको वाहन की कपूर से आरती करनी है और कपूर की राख से वाहन पर तिलक करना है। कहा जाता है कि यह तिलक वाहन को बुरी नजर से बचाता है।
  7. इसके बाद मिठाई को वाहन पर रख दें और पूजा के बाद इस मिठाई को गाय को खिला देना है।
  8. अंत में नारियल को वाहन के चारों ओर घुमाना होता है और वाहन के सामने नारियल को फोड़ना होता है।


ऐसा करने से वहां आपकी पूजा सचमुच पूर्ण हो जाती है। अब हम 2023 के दशहरा में वाहन पूजा और रावण दहन के सभी शुभ मुहूर्तों के बारे में बात करने जा रहे हैं।


दशहरा शुभ मुहूर्त 2023 | dussehra shubh muhurat 2023


दशहरे के दिन असत्य पर सत्य की विजय हुई है, इसलिए इस दिन को कई चीजों की खरीदारी के लिए शुभ दिन माना जाता है। दशहरे के दिन लोग बहुत सारी नई वस्तुएं और बड़ी वस्तुएं खरीदते हैं, इसलिए उन्हें शुभ समय की जानकारी की आवश्यकता होती है।

इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे खरीदारी करने से कई नुकसान हो सकते हैं इसलिए आपको शुभ मुहूर्त के बारे में जानना जरूरी है।

अब हम दशहरे के दिन आने वाले कई शुभ मुहूर्तों के बारे में बात करने जा रहे हैं।


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2023 में दशहरा 24 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा और यह दिन पूजा और खरीदारी के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है।

24 अक्टूबर को दशहरा के तीन शुभ योग बन रहे हैं।


  • रवि योग: यह योग 24 अक्टूबर को सुबह 6:27 बजे से दोपहर 3:28 बजे तक है जो बेहद शुभ माना जाता है।
  • त्रिग्रही योग: दशहरे के दिन तीन ग्रहों सूर्य, मंगल और बुध के त्रिग्रही होने से यह योग बनेगा, जिसके प्रभाव से हर कार्य में सफलता और विशेष लाभ मिलता है।
  • वृद्धि योग: दशहरे के दिन वृद्धि योग 24 अक्टूबर को 3:40 से लेकर रात तक रहने वाला है इस समय पूजा करने से हमें दोगुना फल मिलता है।


दशहरा के लिए आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि 23 अक्टूबर शाम 5:44 बजे से 24 अक्टूबर शाम 3:14 बजे तक है।

इस समय रावण दहन और शस्त्र पूजन के दो शुभ मुहूर्त आते हैं।


  • रावण दहन: रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 5:43 बजे के एक घंटे बाद तक है।
  • शस्त्र और वाहन पूजन: दोपहर 1:58 बजे से दोपहर 2:45 बजे तक आप वाहन और शस्त्र पूजन कर सकते हैं।


दशहरा कब है 2023 में | Dussehra Kab Ka Hai 2023


देश का सबसे बड़ा त्योहार दशहरा नजदीक आ रहा है। लेकिन कोई नहीं जानता कि असल में दशहरा 23 को मनाया जाएगा या 24 को।

दशहरा हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

रक्षाबंधन के जैसे ही दशहरा 23 अक्टूबर या 24 अक्टूबर मनाया जाएगा इसका कंफ्यूजन सभी को है।

इस वर्ष दशहरा की दसवीं तिथि 23 अक्टूबर शाम 5:44 बजे से 24 अक्टूबर शाम 3:14 बजे तक है।

उदया तिथि के अनुसार दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

हर साल की तरह इस बार भी दशहरा 9 दिनों तक नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाएगा।


दशहरा का मंत्र | Dussehra Ka Mantra


दशहरा एक शुभ दिन माना जाता है। दशहरे में सभी मंत्रो का जाप करने से दोगुना लाभ मिलता है लेकिन एक मंत्र है जिसका जप दशहरा के दिन करने से आपको संपूर्ण रामायण का फल मिल सकता है।

अगर आप यह मंत्र जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके बताएं हम आपको यह मंत्र ईमेल कर देंगे।


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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


1. विजयादशमी का अर्थ क्या है?

विजयदशमी का साधारण अर्थ दसवीं तिथि को प्राप्त हो वाली विजय है। इस दिन भगवान राम ने नौ दिनों के युद्ध के बाद दसवें दिन रावण से विजय प्राप्त की थी। इसी प्रकार मां दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर से युद्ध के बाद दसवें दिन विजय प्राप्त की थी। इसलिए दसवीं को दशहरा, दशहोरा, दसवीं तिथि और विजयादशमी से जाना जाता है।


2. क्या हम दशहरे पर शादी कर सकते हैं?

दशहरा को ढेर सारी खरीदारी करने के लिए शुभ दिन माना जाता है। इस दिन असत्य पर सत्य की विजय हुई थी लेकिन इस दिन शादी के लिए वर्जित माना जाता है। क्योंकि दशहरा को शादी के लिए अशुभ दिन माना जाता है।


3. रावण की पूजा किस देश में की जाती है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव बिसरख में हुआ था। इसलिए यहां पर रावण का दहन करने की जगह रावण की पूजा की जाती है। बिसरख के पास के गांव गढ़चिरौली में भी रावण की पूजा की जाती है।


4. रावण लंका अभी कहां है?

रावण की लंका अभी श्रीलंका में स्थित है जो तीन पर्वतों की श्रृंखला है। इन तीन पर्वतों में पहले पर्वत का नाम सुभेल था और यहां पर रामायण का युद्ध पूर्ण हुआ था।


5. दशहरा के 20 दिन बाद दिवाली क्यों है?

कई कथाओं के अनुसार दशहरे के बाद भगवान राम को अयोध्या पहुंचने में 20 दिन लगे थे। जैसे ही भगवान राम अयोध्या गए, वहां बहुत खुशी का माहौल था और इस दिन अयोध्यावासियों ने रोशनी करके भगवान राम का स्वागत किया, इसलिए इस दिन दिवाली मनाई जाती है।


6. रावण किस धर्म का था?

रावण एक राक्षस था लेकिन रावण का गोत्र सारस्वत ब्राह्मण का था। क्योंकि रावण एक ब्राह्मण था, इसलिए उसमें कूटनीति, वैदिक ज्ञान और शिव भक्ति प्रचुर मात्रा में थी।


7. रावण की उम्र कितनी थी?

रावण की उम्र लगभग 50 हजार वर्ष थी। अर्थात रावण 112 दिव्य वर्षों तक जीवित रहा। वाल्मिकी रामायण के अनुसार मृत्यु के समय रावण की उम्र लगभग 45000 वर्ष थी।


अगर आपको यहां पर दी हुई सभी जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो हमारे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद।

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